Saturday, May 15, 2010

१६ मई २०१०
छत्तीसगढ़ प्रदेश भर के कोटि - कोटि तेजस्वी ब्रह्मांशों को भगवान् परशुराम जयंती की सगर्व बधाइयाँ. मित्रों, ब्रह्मबल का जैसा जागरण एवं एकीकरण छत्तीसगढ़ सर्व ब्राह्मिन समाज के रूप में दर्शित हो रहा है, वह अभूतपूर्व है, अलौकिक है. निश्चित रूप से ब्रह्मबल का यह सामूहिक उद्घोष सामाजिक एकता एवं उन्नयन का नया भविष्य रचेगा. अपनी बात मैं इन पंक्तियों के माध्यम से रखना चाहूँगा :-
"स्वाभिमान से भरी निगाहें
आसमान तक फ़ैली बाहें,
ब्राह्मिन जब संकल्प उठाए
खुद निर्मित हो जाती रहें.

दृढ़ निश्चय ज्यों अटल हिमालय,
संकट का हर अंत पराजय
सत्यनिष्ठ हो कर्म करें हम
जीवन का बस इतना आशय
निज-भुज पर विश्वास रहे फिर
संग चलें प्रतिकूल हवाएं.

यही जोश हो, अहसास यही हो,
स्वप्निल कल का आभास यही हो,
स्वयम जागें तो जागृत समाज हो
शक्ति पर अपने विश्वास यही हो
सहस्त्र कदम जब संग चलेंगें
दूर हटेंगी सब बाधाएं.
और भगवान् परशुराम के युवा छवियों का आवाहन करते हुए ये पंक्तियाँ समर्पित हैं:
वसुंधरा के गर्व तुम्हीं हो,
संस्कार के पर्व तुम्हीं हो,
ऋग्वेद हो, यजुर्वेद हो,
सामवेद और अथर्व तुम्हीं हो,
ब्रह्म के अलौकिक प्रकाश से
आलोकित कर दो दसो-दिशाएँ.
जय भगवन परशुराम.

1 comment:

  1. छत्तीसगढ़ सर्व ब्रह्मण समाज के ब्लॉग को इतने सुन्दर रूप में प्रस्तुत कर इसे सार्थक रूप देने तथा समाज के विचारों को व्यापक रूप में प्रसारित करने हेतु मै समाज के प्रदेश अद्ध्य्छ श्री ललित मिश्रा जी एवं प्रदेश सचिव श्री संजय मिश्रा जी प्रति सादर आभार व्यक्त करता हूँ एवं अशेष शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ ............!!

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